ग्रामीण विकास के लिए संचालित विशिष्ट योजनाओं का विश्लेषनात्मक अध्ययन

(छत्तीसगढ़ राज्य के रायपुर जिले में कृषि विकास की योजनाओं के विशेष संदर्भ में)

 

राजेन्द्र कुमार रजक1’,  एल.एन. वर्मा2,  एस.एस. खनूजा3

1शोध छात्र, दुर्गा महाविद्यालय, रायपुर

2प््रााध्यापक वाणिज्य, दुर्गा महाविद्यालय, रायपुर

3प््रााचार्य, दुर्गा महाविद्यालय, रायपुर

 

संक्षेपिका-

छत्तीसगढ़ राज्य एक प्रगतिशील कृषि प्रधान राज्य है अपने गठन के बाद से विगत डेढ़ दशक में यहाॅं की कृषि ने उल्लेखनीय प्रगति की है। रायपुर जिला राज्य के समृद्ध कृषि जिलों में से एक है। यहाॅं की कृषि विकास योजनाओं का जिले की ग्रामीण विकास की योजनाओं के परिपेक्ष्य में विश्लेषण संयुक्त वृद्धि दर एवं प्रतीपगमन विश्लेषण के माध्यम से किया गया है। अध्ययन से स्पष्ट है कि विभिन्न कृषि योजनाओं के विस्तार से राज्य के सकल घरेलू उत्पाद पर कृषि विकास योजनाओं की हिस्से दारी बढ़ायी जाने की आवश्यकता है।

 

प्रमुख शब्द- छत्तीसगढ़ राज्य, रायपुर जिला, कृषि विकास, प्रतीपगमन विश्लेषण

 

 

 

 

स्वतन्त्रता प्राप्ति के समय कृषि क्षेत्र ही भारतीय जनता की आजीविका का प्रमुख आधार था। आधारिक व्यवसाय होने के कारण  स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात् यह अनुभव किया गया कि देश का आर्थिक विकास कृषि और ग्रामीण अर्थव्यवस्था के विकास में ही निहित है।

 

1951 में आरम्भ होने वाली प्रथम पंचवर्षीय योजना में कृषि विकास को योजना के वरीयता क्रम में सर्वोपरि स्थान दिया गया। 1966-67 के दौरान कृषि की नवीन पद्धति का प्रादुर्भाव हुआ था, सन् 1980 तक पूरे देश में इसका प्रचलन विस्तृत हो गया जिसके परिणामस्वरुप 1981 में कुल खाद्यान्न उत्पादन बढ़कर लगभग 105 मिलियन टन हो गया। 2011 में कुल उत्पादन लगभग 230 मिलियन टन रहा। यहाॅं उल्लेखनीय है कि  कृषि का सकल घरेलू उत्पाद में जो हिस्सा सन् 1980-81 में लगभग 35 प्रतिशत था 1990-91 में घटकर 22.2 प्रतिशत हो गया।

 

भारत आजादी के सात दशको बाद भी गांवो का देश है, आजादी के बाद से आज तक भारत के गांव बहुत पिछड़े हुए है। भारत के तेजी से बढ़ने वाले राज्येों में से एक छत्तीसगढ़ प्राकृतिक संसाधनों से समृद्ध राज्य है। योजनाबद्ध दोहन से राज्य प्रगति के नये सोपान की ओर अग्रसर हा रहा है। सामाजिक जीवन के किसी भी पक्ष में होने वाले परिवर्तनों में ग्रामीण विकास योजनाओं की अहम् भूमिका है। छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत के क्षेत्र में अग्रणीय है। विभिन्न निजी कंपनियों के द्वारा ऊर्जा का निर्माण कर रहे हैं। नवम्बर 2000 को छत्तीसगढ़ भारत के 26वें नवोदित राज्य के रूप में स्थापित हुआ जिसकी राजधानी रायपुर है। शासन द्वारा सभी वर्गाे विशेषकर गांवए गरीब और किसानों के हित में अनेक कल्याणकारी योजनाएॅं और कार्यक्रम बनाये गये एवं योजनाओं के बेहतर क्रियान्वयन के प्रयास सरकार द्वारा किया जा रहे है।

 

छोटे-छोटे गांवो के कुटीर उद्योगो को प्रोत्साहित कर कृषि की उन्नत फसलें विभिन्न तकनीकी से विकसित की जा रही है। इस योजना का वास्तविक लाभ जरूरतमंद लोगो को मिल रहा है। इसके लिए यह और भी जरूरी है कि इन योजनाओं का प्रचार-प्रसार और तेजी से किए जाए और वास्तविक हितग्राहियों को योजनाओं की जानकारी मिल सके।

 

ग्रामीण सूचना प्रौद्योगिकी के इस दौर में आज सभी दूर-दराज के ग्रामीण क्षेत्रों में जानकारी का अभाव महसूस किया जाता है। शासन द्वारा विभिन्न विभागों के माध्यम से ग्राम विकास के लिए अनेक योजनाएं बनाय जा रही है। भविष्य में ग्रामवासी इन योजनाओं का सर्वाधिक लाभ लेकर अपने जीवन स्तर को ऊॅंचा उठाकर आने वाले पीढ़ी को रोजगार के सशक्त माध्यम उपलब्ध करा सकेंगे, इन्ही सब तथ्यों का अध्ययन करना प्रस्तुत शोध अध्ययन का प्रमंख उद्देश्य है।

 

अध्ययन का उद्देश्य-

1. छत्तीसगढ़ राज्य के रायपुर जिला में संचालिक कृषि विकास संबंधी योजनाओं का विश्लेषण करना।

2. कृषि विकास योजनाओं का ग्रामीण विकास में प्रभाव का अध्ययन करना।

3. कृषि विकास योजनाओं का कृषको पर प्रभाव का अध्ययन करना।

शोध परिकल्पनाएॅं -

1. ग्रामीण विकास हेतु रायपुर जिले में ग्रामीण विकास की योजनाएं संचालित की जा रही है।

2. कृषकों को इन योजनाओं का पूर्ण लाभ प्राप्त हो रहा है।

 

शोध प्रविधि -

प्रस्तुत अध्ययन में मूलतः राज्य शासन के कृषि विभाग के प्रकाशित द्वितीयक समंको को प्रयोग किया गया है। प्रस्तुत अनुसंधान विश्लेष्णात्मक प्रकृति का है जिसमें समंको का विश्लेषण अध्ययन के उद्देश्यों के अनुरूप किया गया है।

 

विश्लेषण की विधि -

इस हेतु विभिन्न संाख्यिकीय विधियों के साथ-साथ संयुक्त वृद्धि दरएवं प्रतीपगमन विश्लेषण के माध्यम से ज्ञात किया गया है। संयुक्त वृद्धि दर (ब्।ळत्) में स्वतंत्र चर समय अवधि वर्ष में है जबकि आश्रित चर संबंधित योजना को रखा गया है। प्रतीपगमन विश्लेषण में बहुगुणीय प्रतीपगमन ज्ञात किया गया है। जिसका सूत्र निम्नानुसार हैः-

 

ल् त्र ं़इ11़इ22़इ33़इ44़इ55़इ66़इ77़न

 

यहाॅ पर, ं त्र स्थिरांक, 1 .. 7 त्र विभिन्न योजनाओं का बीटा गुणांक

ल् त्र रायपुर जिले के सकल घरेलू उत्पाद में कृषि की भागीदारी (प्द स्ंबो त्ेण्),

1 त्र खरीफ बीज वितरण मात्रा (फज.), 2 त्र रबी बीज वितरण मात्रा (फज.),

3 त्र खरीफ उर्वरक वितरण मात्रा (फज.), 4 त्र रबी उर्वरक वितरण मात्रा (फज.)

5 त्र हस्तचलित/बैलचलित कृषि यंत्र वितरण मात्रा (छवे.)

6 त्र शक्ति चलित कृषि यंत्र वितरण मात्रा (छवे.)

7 त्र शाकम्भरी सिंचाई पम्प वितरण राशि (त्े.)

न त्र रेण्डम चर

 

उपरोक्त बीटा गुणांकों को आंकलित कर उनकी सार्थकता का परीक्षण 1 प्रतिशत और 5 प्रतिशत प्रायिकता स्तर पर किया गया है।

छत्तीसगढ़ राज्य कृषि के द्धष्टिकोण से विकास की ओर अग्रसर राज्य है। वर्ष 2014-15 में कृषि उत्पादकता में वृद्धि के लिए राज्य को कृषि कर्मण पुरस्कार की पुनः प्राप्ति हुई है। छत्तीसगढ़ के 27 जिलों में से रायपुर जिला कृषि उत्पादन में अग्रणी है। छत्तीसगढ़  शासनद्वारा कृषि विकास योजनाओं के अंतर्गत केंद्र एवं राज्य प्रवर्तित विभिन्न योजनाएं प्रत्येक जिले में क्षेत्रीय आवश्यकताओं के अनरुप संचालित कर रहा है। छत्तीसगढ़ राज्य की स्थापना वर्ष 2000 में हुई तथा विकासखंड वार एवं जिले वार समंक वर्ष 2003-04 से उपलब्घ रहे हैं। इन वर्षों में जिलो में कृषि विकास की योजनाओं में आबंटित राशि वितरित मात्रा एवं लाभान्वित कृषकों की संख्या का विस्तृत वितरण निम्नानुसार विश्लेषित किया जा रहा है।

 

छत्तीसगढ़ राज्य के विभिन्न कृषि योजनाओं, जिन्हें स्वतंत्र चर के रूप में लिया गया है का आश्रित चर जिले के सकल घरेलू उत्पाद में कृषि की भागीदारी पर आंकलित किया गया है। तालिका क्रमाॅंक 2 से स्पष्ट है कि खरीफ बीज वितरण की मात्रा का आश्रित चर जिले के सकल घरेलू उत्पाद में कृषि की भागीदारी पर ऋणात्मक प्रभाव पड़ा है। इसका बीटा गुणांक- 2.096 प्राप्त हुआ है। जो कि 1 प्रतिशत प्रायिकता स्तर पर सार्थक है। अर्थात् इस योजना का जी.डी.पी. पर कृषि के योगदान पर ऋणात्मक सार्थक असर हुआ है।

 

 

रायपुर जिले की कृषि विकास योजनाओं को विभिन्न समय अवधि के लिए छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद की अवधि के आधार पर तालिका 1 के माध्यम से वृद्धि दरो की गणना के आधार पर मूल्यांकित किया जा रहा है। योजना -खरीफ बीज वितरण वितरित मात्रा मूल्यांकित समय अवधि में 26.72 प्रतिशत की दर से धनात्मक वृद्धि आंगणित की गयी है। स्पष्ट है कि यह दर सार्थक है। इसी अवधि में लाभान्वित कृषक की संयुक्त वृद्धि दर 26.72 पायी गयी। यह भी सामान्य वृद्धि दरो से कहीं अधिक है। योजना रबी बीज वितरण की वार्षिक वृद्धि दर 18.179 प्राप्त हुई है जो कि एक अच्छी वृद्धि दर है। इसी प्रकार लाभान्वित कृषकों की संख्या भी इसी दर पर बढ़ी है। खरीफ और रबी उर्वरक वितरण योजना की संयुक्त वृद्धि दरें क्रमशः 6.97 और एवं 25.700 है। जो कि व्यक्त करती है कि खरीफ उर्वरक वितरण की वृद्धि दर सर्वाधिक कम रही है। यद्यपि यह सामान्य वृद्धि दर से अधिक ही है। परन्तु रायपुर जिले में लागू अन्य कृषि योजनाओं की तुलना में कम है। जहाॅं तक रबी उर्वरक वितरण की मात्रा का प्रश्न है तो यह सार्थक रूप से लगातार धनात्मक विकास की ओर लक्षित है। यह दर इस ओर इंगित करता है कि रबी फसलों के क्षेत्रों और योजनाओं को और विस्तृत करने की आवश्यकता है। लाभान्वित कृषको की वृद्धि दर चंूकि खरीफ उर्वरकों हेतु न्यूनतम है जो कि बतलाता है कि छत्तीसगढ़ विशेष रूप से रायपुर जिले के कृषक इन उर्वरकों का प्रयोग ठीक से नहीं कर पा रहें है।

 

हस्तचलित/बैलचलित यंत्र वितरण में संयुक्त वृद्धि दर 89.97 और कृषकेां हेतु 96.98 है। जो कि बतलाता है कि छत्तीसगढ़ राज्य के कृषकों का रूझान अभी भी यंत्र चलित कृषि केी ओर अपेक्षाकृत कम है। शाकम्भरी योजना अंतर्गत पम्प वितरण के लिए जो वित्तीय राशि उपलब्ध करायी गई। वह 2005 से प्रारंभ हुई है। अतः इस चर का संयुक्त वृद्धि दर ज्ञात नहीं किया गया है। यद्यपि सिंचाई पम्पों की संख्या तथा लाभान्वित कृषक संख्या 2005 से 2012 की अवधि में उल्लेखनीय रूप से बढ़ी है।

 

इसी प्रकार रबी बीज वितरण की मात्रा का आश्रित चर जिले के सकल घरेलू उत्पाद में कृषि की भागीदारी पर ऋणात्मक प्रभाव पड़ा है। इसका बीटा गुणांक -26.72 प्राप्त हुआ है। जो कि 1 प्रतिशत प्रायिकता स्तर पर सार्थक है। अर्थात् इस योजना का जी.डी.पी. पर कृषि के योगदान पर ऋणात्मक सार्थक असर हुआ है। स्वतंत्र चर हस्तचलित/  बैलचलित कृषि यंत्र का जिले की सकल जी.डी.पी. पर कृषि के योगदान पर ऋणात्मक गैर सार्थक प्रभाव देखा गया है। तालिका से स्पष्ट है कि इस चर की च मूल्य 0.316 है।

 

शाकम्भरी योजना के अंतर्गत सिंचाई पम्प वितरण 1 प्रतिशत स्तर पर जिले के सकल घरेलू उत्पाद में कृषि की भागीदारी पर ऋणात्मक सार्थक असर डाल रहा है अर्थात जिले में इस कृषि योजना का अत्यंत सार्थक प्रभाव देखा गया है। इस चर का बीटा गुणांक -79.19 प्राप्त हुआ। इस चर की च मूल्य 0.014 है।

 

शेष चरो में रबी उरर्वक वितरण 5 प्रतिशत स्तर पर जिले के सकल घरेलू उत्पाद में कृषि की भागीदारी पर धनात्मक सार्थक असर डाल रहा है अर्थात जिले में इस कृषि योजना का अत्यंत सार्थक प्रभाव देखा गया है। इस चर का बीटा गुणांक 1.325 प्राप्त हुआ। इस चर की च मूल्य 0.020 है।

खरीफ उरर्वक वितरण 1 प्रतिशत स्तर पर जिले के सकल घरेलू उत्पाद में कृषि की भागीदारी पर धनात्मक सार्थक असर डाल रहा है अर्थात जिले में इस कृषि योजना का अत्यंत सार्थक प्रभाव देखा गया है। इस चर का बीटा गुणांक 6.7882 प्राप्त हुआ। इस चर की च मूल्य 0.005 है।

 

शक्ति चलित कृषि यंत्र वितरण 1 प्रतिशत स्तर पर जिले के सकल घरेलू उत्पाद में कृषि की भागीदारी पर धनात्मक सार्थक असर डाल रहा है अर्थात जिले में इस कृषि योजना का अत्यंत सार्थक प्रभाव देखा गया है। इस चर का बीटा गुणांक 222.89 प्राप्त हुआ। इस चर की च मूल्य 0.005 है।

 

 

प्रतीपगमन विश्लेषण से स्पष्ट है कि कृषि विकास योजनाओं में से हरित क्रांति से प्रभावित खरीफ उर्वरक वितरण, शक्ति चलित कृषि यंत्र वितरण का जिले की सकल जी.डी.पी. पर कृषि क्षेत्र का योगदान पर सार्थक प्रभाव पड़ा है। ।छव्ट। विश्लेषण से स्पष्ट है कि 7 स्वातंत्र्य संख्या पर थ् मूल्य 1 प्रतिशत प्रायिकता स्तर पर सार्थक है। अर्थात् प्रतीपगमन माॅडल बेस्ट फिट है।

 

छत्तीसगढ़ राज्य एक प्रगतिशील कृषि प्रधान राज्य है जिसमें रायपुर जिले की कृषि योजनाओं का व्यापक असर विकास के संकेतकों पर दृष्टिगत होता है। सुझाव के रूप में कह सकते है कि जिले में कृषि विकास योजनाओं का और अधिक असर पड़े इस हेतु इस जिलें में कृषि योजनाअेां के लिए जारी राशि की मात्रा बढ़ाते हुए सरकारी तंत्र को और कारगर तरीके से कार्य करना होगा।

 

संदर्भ-

1.   कृषि समंक छत्तीसगढ़ शासन 2013

2.   भारत 2013

3.   रायपुर जिले की विभिन्न कृषि योजनाएं, कृषि विभाग छत्तीसगढ़ शासन 2013

4.   छत्तीसगढ़ शासन की अधिकृत वेबसाइट

 

 

 

Received on 09.11.2015       Modified on 14.12.2015

Accepted on 24.12.2015      © A&V Publication all right reserved

Int. J. Ad. Social Sciences 3(4): Oct. - Dec., 2015; Page 175-178